आइये यह जानने का प्रयास करते है कि ऐसा क्यों होता है।
वैसे इसके कारण बहुत से हो सकते है परंतु जो बहुत ही सामान्य कारण है जैसे कि…
अनुपयुक्त रत्न पहनना
यदि किसी व्यक्ति ने अनुपयुक्त रत्न पहना होगा या फिर किसी अनुभवहीन के कहने पर कोई रत्न धारण कर लिया होगा और वह रत्न अनुकूल न होने पर सर्वप्रथम आपका मन बेचैन कर देगा। नींद उड़ जाएगी, नींद यदि आएगी तो बुरे और गलत सपने दिखाई देने लगेंगे। ये तो अनुपयुक्त रत्न धारण करने पर तुरंत प्रभाव होंगे परंतु अनुपयुक्त रत्न आपके पूजा पाठ को व्यर्थ बनाना शुरू कर देगा। आपकी पूजा इस प्रकार हो जाएगी जैसेकि छेद युक्त घड़े में पानी डाला जाए।
इस समस्या अर्थात पूजा पाठ का असर न होने पर सर्वप्रथम यह देखे कि अभी हाल ही में आपने कोई रत्न तो धारण नहीं कर लिया है।
पूजा पाठ का आसन और अन्य विकार
हमारे शास्त्रों में पूजा पाठ इत्यादि के लिए आसन का प्रावधान बताया गया है और आसन के बारें में विस्तार से चर्चा की गयी है। इसलिए आप यह सुनिश्चित कर लें कि पूजा पाठ के समय आप उचित आसन का प्रयोग ही करें।
पूजा के समय आप यदि मंत्र पढ़ते है, लंबे पाठ आरती इत्यादि करते है परंतु आसन का प्रयोग नहीं करते तो तो आपकी पूजा का पृथ्वीकरण हो जाएगा। पूजा के फलस्वरूप पैदा हुई ऊर्जा आसन के अभाव में पृथ्वी में समा जाएगी। अंतत: आप अपनी साधना के फल से वंचित हो जाएंगे।
पूजा अर्चना को गुप्त स्थान में करने का विधान बताया गया है क्योंकि यदि पूजा के समय यदि कोई छू देता है तो भी पूजा के फलस्वरूप पैदा हुई ऊर्जा का पृथ्वीकरण हो जायेगा| सामान्य भाषा में हम कहते कि अर्थिन्ग (earthing) हो रहीं है।
पूजा के बाद यदि कोई क्रोध करता है, सो जाता है, निंदा करता है तो भी पूजा का फल पूजा करने वाले को प्राप्त नहीं होता। इसलिए इन बातों से बचने का प्रयास करें।
कभी भी पूजा चारपाई पर बैठ कर न करें | नंगे फर्श पर न बैठें | यदि आसन मिलना सम्भव न हो तो उनी कम्बल प्रयोग कर सकते हैं| अभिप्राय है कि पृथ्वी के सीधे संपर्क में आने से बचें।
भूत प्रेत या अतृप्त आत्मा का होना
सामान्यत: यदि किसी परिवार में किसी अविवाहित सदस्य की अकाल मृत्यु हो जाती है तो उसे अतृप्त आत्मा माना जाता है और अतृप्त आत्मा अपनी मुक्ति के लिए बाधाएं पैदा करती है। पूजा पाठ का लाभ न प्राप्त होने पर इस बिन्दु पर भी ध्यान दें कि आपके परिवार में कहीं इस प्रकार की कोई घटना घटित तो नहीं हुई है यदि ऐसा हुआ है तो उस अतृप्त आत्मा की मुक्ति के लिए शास्त्रों में बताए गए नियमों में निहित विधियों का पालन करें।
घर का किसी अन्य बाधा या वास्तुदोष से ग्रस्त होना
आप किसी नए मकान में रहने के लिए आएं है तो सुनिश्चित कर ले कि आपने अपना घर किसी नि:संतान व्यक्ति से तो नहीं खरीदा है। बहुत बार देखा गया है कि पितृ दोष के फलस्वरूप व्यक्ति नि:संतान रहता है और उससे प्राप्त हुई वस्तु भी दोष ग्रस्त हो सकती है।
यह भी सुनिश्चित कर लें कि आपका घर कब्रिस्तान पर तो नहीं बना है। कब्रिस्तान पर बने घर रहने के लिए उपयुक्त नहीं होते।
घर में पूजा स्थल घर की दक्षिण पश्चिम या पश्चिम दिशा में होने पर भी पूजा पाठ का लाभ प्राप्त नहीं होता।
पूजा पाठ सदा घर के किसी स्थान में करना चाहिए जहां पर आसानी से सबकी दृष्टि नहीं पड़ती। यदि घर में प्रवेश होते ही पूजा स्थल पर सबकी दृष्टि पड़ती है, अर्थात पूजा स्थल छिपा नहीं है तो भी पूजा पाठ का लाभ नहीं मिलता। सीढी के नीचे भी पूजा गृह अच्छा नहीं माना जाता।
मंत्रों का उच्चारण गलत होने पर भी पुजा व्यर्थ होती है
मंत्र हमारे ऋषि मुनियों द्वारा अविष्कृत बहुत ही वैज्ञानिक ध्वनियाँ है। मंत्र जाप से कुछ भी प्राप्त किया जा सकता है। यदि आप नियमित पूजा में मंत्र जाप करते है तो ध्यान रखें कि आपका मंत्र उच्चारण शुद्ध हो अन्यथा पूजा निरर्थक ही होगी। एक अक्षर की गलती आपको मन्त्र से होने वाले लाभ से वंचित रख सकती है | कभी कभी मन्त्र का उच्चारण गलत होने से नुक्सान होता भी देखा गया है | एक एक अक्षर से मन्त्र बनता है यदि कहीं त्रुटी हो तो मन्त्र देने वाले से सही उच्चारण सीख कर ही मंत्र जाप करें।
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सही उच्चारण सीख कर ही मन्त्र जाप करें|
मांस-मदिरा का सेवन
आप शास्त्र अनुसार नियमित पूजा पाठ करते हैं तो आपके खानपान में भी शुद्धता रहनी चाहिए। पूजा पाठ आप करते है परंतु आपके द्वारा या आपके परिवार के किसी अन्य सदस्य द्वारा मांस-मदिरा का सेवन किया जाता है तो पूजा का पूरा फल पाने की उम्मीद न करें
इस विषय पर मैंने बहुत ही संक्षिप्त रूप से विवेचना की है। पूजा पाठ का फल प्राप्त न होने पर इन कारणो पर ध्यान दें,
वैसे इसके कारण बहुत से हो सकते है परंतु जो बहुत ही सामान्य कारण है जैसे कि…
अनुपयुक्त रत्न पहनना
यदि किसी व्यक्ति ने अनुपयुक्त रत्न पहना होगा या फिर किसी अनुभवहीन के कहने पर कोई रत्न धारण कर लिया होगा और वह रत्न अनुकूल न होने पर सर्वप्रथम आपका मन बेचैन कर देगा। नींद उड़ जाएगी, नींद यदि आएगी तो बुरे और गलत सपने दिखाई देने लगेंगे। ये तो अनुपयुक्त रत्न धारण करने पर तुरंत प्रभाव होंगे परंतु अनुपयुक्त रत्न आपके पूजा पाठ को व्यर्थ बनाना शुरू कर देगा। आपकी पूजा इस प्रकार हो जाएगी जैसेकि छेद युक्त घड़े में पानी डाला जाए।
इस समस्या अर्थात पूजा पाठ का असर न होने पर सर्वप्रथम यह देखे कि अभी हाल ही में आपने कोई रत्न तो धारण नहीं कर लिया है।
पूजा पाठ का आसन और अन्य विकार
हमारे शास्त्रों में पूजा पाठ इत्यादि के लिए आसन का प्रावधान बताया गया है और आसन के बारें में विस्तार से चर्चा की गयी है। इसलिए आप यह सुनिश्चित कर लें कि पूजा पाठ के समय आप उचित आसन का प्रयोग ही करें।
पूजा के समय आप यदि मंत्र पढ़ते है, लंबे पाठ आरती इत्यादि करते है परंतु आसन का प्रयोग नहीं करते तो तो आपकी पूजा का पृथ्वीकरण हो जाएगा। पूजा के फलस्वरूप पैदा हुई ऊर्जा आसन के अभाव में पृथ्वी में समा जाएगी। अंतत: आप अपनी साधना के फल से वंचित हो जाएंगे।
पूजा अर्चना को गुप्त स्थान में करने का विधान बताया गया है क्योंकि यदि पूजा के समय यदि कोई छू देता है तो भी पूजा के फलस्वरूप पैदा हुई ऊर्जा का पृथ्वीकरण हो जायेगा| सामान्य भाषा में हम कहते कि अर्थिन्ग (earthing) हो रहीं है।
पूजा के बाद यदि कोई क्रोध करता है, सो जाता है, निंदा करता है तो भी पूजा का फल पूजा करने वाले को प्राप्त नहीं होता। इसलिए इन बातों से बचने का प्रयास करें।
कभी भी पूजा चारपाई पर बैठ कर न करें | नंगे फर्श पर न बैठें | यदि आसन मिलना सम्भव न हो तो उनी कम्बल प्रयोग कर सकते हैं| अभिप्राय है कि पृथ्वी के सीधे संपर्क में आने से बचें।
भूत प्रेत या अतृप्त आत्मा का होना
सामान्यत: यदि किसी परिवार में किसी अविवाहित सदस्य की अकाल मृत्यु हो जाती है तो उसे अतृप्त आत्मा माना जाता है और अतृप्त आत्मा अपनी मुक्ति के लिए बाधाएं पैदा करती है। पूजा पाठ का लाभ न प्राप्त होने पर इस बिन्दु पर भी ध्यान दें कि आपके परिवार में कहीं इस प्रकार की कोई घटना घटित तो नहीं हुई है यदि ऐसा हुआ है तो उस अतृप्त आत्मा की मुक्ति के लिए शास्त्रों में बताए गए नियमों में निहित विधियों का पालन करें।
घर का किसी अन्य बाधा या वास्तुदोष से ग्रस्त होना
आप किसी नए मकान में रहने के लिए आएं है तो सुनिश्चित कर ले कि आपने अपना घर किसी नि:संतान व्यक्ति से तो नहीं खरीदा है। बहुत बार देखा गया है कि पितृ दोष के फलस्वरूप व्यक्ति नि:संतान रहता है और उससे प्राप्त हुई वस्तु भी दोष ग्रस्त हो सकती है।
यह भी सुनिश्चित कर लें कि आपका घर कब्रिस्तान पर तो नहीं बना है। कब्रिस्तान पर बने घर रहने के लिए उपयुक्त नहीं होते।
घर में पूजा स्थल घर की दक्षिण पश्चिम या पश्चिम दिशा में होने पर भी पूजा पाठ का लाभ प्राप्त नहीं होता।
पूजा पाठ सदा घर के किसी स्थान में करना चाहिए जहां पर आसानी से सबकी दृष्टि नहीं पड़ती। यदि घर में प्रवेश होते ही पूजा स्थल पर सबकी दृष्टि पड़ती है, अर्थात पूजा स्थल छिपा नहीं है तो भी पूजा पाठ का लाभ नहीं मिलता। सीढी के नीचे भी पूजा गृह अच्छा नहीं माना जाता।
मंत्रों का उच्चारण गलत होने पर भी पुजा व्यर्थ होती है
मंत्र हमारे ऋषि मुनियों द्वारा अविष्कृत बहुत ही वैज्ञानिक ध्वनियाँ है। मंत्र जाप से कुछ भी प्राप्त किया जा सकता है। यदि आप नियमित पूजा में मंत्र जाप करते है तो ध्यान रखें कि आपका मंत्र उच्चारण शुद्ध हो अन्यथा पूजा निरर्थक ही होगी। एक अक्षर की गलती आपको मन्त्र से होने वाले लाभ से वंचित रख सकती है | कभी कभी मन्त्र का उच्चारण गलत होने से नुक्सान होता भी देखा गया है | एक एक अक्षर से मन्त्र बनता है यदि कहीं त्रुटी हो तो मन्त्र देने वाले से सही उच्चारण सीख कर ही मंत्र जाप करें।
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सही उच्चारण सीख कर ही मन्त्र जाप करें|
मांस-मदिरा का सेवन
आप शास्त्र अनुसार नियमित पूजा पाठ करते हैं तो आपके खानपान में भी शुद्धता रहनी चाहिए। पूजा पाठ आप करते है परंतु आपके द्वारा या आपके परिवार के किसी अन्य सदस्य द्वारा मांस-मदिरा का सेवन किया जाता है तो पूजा का पूरा फल पाने की उम्मीद न करें
इस विषय पर मैंने बहुत ही संक्षिप्त रूप से विवेचना की है। पूजा पाठ का फल प्राप्त न होने पर इन कारणो पर ध्यान दें,
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