सोमवार, 25 जून 2018

प्रसासनिक अधिकारी या सिविल सर्विसिस में सफलता के ज्योतिष योग

प्रत्येक उच्च शिक्षित व्यक्ति एक अच्छे पद को पाने का इच्छुक होता है।।
 परंतु जन्मकुंडली में बनी भिन्न–भिन्न ग्रहस्थितियों के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति की रुचि या इच्छा अलग अलग क्षेत्रों में अपना करियर बनाने की होती है। जहाँ कुछ तकनीकी क्षेत्रों से जुड़ते हैं, कुछ रचनात्मक कार्यों से तो प्रशासनिक  कार्यों से।

“ज्योतिषीय दृष्टि में “मंगल” और “सूर्य” को प्रशासनिक  पद या प्रशासनिक  अधिकारों और कार्यों का कारक माना गया है इसके अतिरिक्त बृहस्पति की यहाँ सहायक भूमिका होती है। मंगल को हिम्मत, शक्ति, पराक्रम, उत्साह, रणनीति, स्पर्धा और कानून व्यवस्था, पुलिस और नियमव्यवस्था  का कारक माना गया है  अतः एक प्रशासनिक  अधिकारी में जिन गुणों का उपस्थित होना आवश्यक है वह सब मंगल के अन्तर्गत आते हैं इसी प्रकार सूर्य को सरकार, सरकारी कार्य, प्रसासन और प्रशासनिक  कार्यों का कारक माना गया है और सूर्य ही व्यक्ति को सरकारी कार्य से जोड़ने में अपनी अहम भूमिका निभाता है इसके अलावा बृहस्पति व्यक्ति को ज्ञान के साथ साथ परिस्थिति और व्यवस्था को मैनेज करने की प्रतिभा देता है अतः निष्कर्षतः मंगल व्यक्ति में व्यक्ति में पराक्रम, उत्साह, बल और  निर्भयता को देकर आईपीएस जैसे पुलिस अधिकारी बनने में सहायक होता है तो वहीँ बृहस्पति की अच्छी स्थिति व्यक्ति में आईएएस, जैसे प्रशासनिक  अधिकारी बनने की प्रतिभा देता है तथा  सूर्य व्यक्ति को सरकार और प्रसासन से जोड़ने का कार्य करता है इसके अलावा आईपीएस और आईएएस दोनों ही क्षेत्रों में शिक्षा बौद्धिक क्षमता और कॉम्पटीशन की बड़ी अहम भूमिका होती है इसलिए यहाँ बुद्धि कारक बुध, ज्ञान और शिक्षा कारक बृहस्पति तथा कॉम्पटीशन के कारक छटे भाव का भी अच्छी स्थिति में होना आवश्यक है, बलवान बुध और बृहस्पति  व्यक्ति को अच्छी बौद्धिक क्षमता देते हैं तो कुंडली के छटे भाव का बली होना व्यक्ति में कॉम्पटीशन की क्षमता देकर सिविल सर्विसिस में आगे बढ़ने का मार्ग प्रसस्त करता है, आईपीएस के लिए मंगल, सूर्य और बृहस्पति में से भी मंगल की अधिक भूमिका होती है तथा आईएएस के लिए सूर्य और बृहस्पति की अधिक भूमिका होती है।  जिन लोगो की कुंडली में पंचम भाव, बुध और छटा भाव बलि होते हैं उन्हें सिविल सर्विसिस की परीक्षाओं या कॉम्पटीशन में जल्दी सफलता मिलती है और इन घटकों के कमजोर होने पर संघर्ष और विलम्ब का सामना करना पड़ता है।

कुछ विशेष योग –

1 यदि मंगल स्व या उच्च राशि (मेष, वृश्चिक, मकर) में शुभ स्थान में हो तो आईपीएस में सफलता देता है।
2 मंगल बली होकर दशम भाव में स्थित हो या मंगल की दशम भाव पर दृष्टि हो तो आईपीएस का योग बनता है।
3 मंगल यदि बली होकर शनि से पाचवे या नवे भाव में हो तो भी आईपीएस में जाने का योग बनता है।
4 सूर्य स्व उच्च राशि (सिंह, मेष) में होकर शुभ स्थानों में हो तो उच्च प्रशासनिक सेवा से जोड़ता है।
5 सूर्य का दशम भाव में होना या दशम भाव को देखना भी प्रसासन से जोड़ता है।
6 यदि सूर्य मंगल का योग मेष राशि में हो तो आईपीएस अधिकारी बनने में सफलता मिलती है।
7 सूर्य और बृहस्पति का योग हो और मंगल शुभ भाव में बली होने पर भी आईएएस में सफलता देता है।
8 बृहस्पति यदि स्व उच्च राशि (धनु, मीन,कर्क) में होकर केंद्र त्रिकोण में हो और सूर्य भी शुभ स्थिति में हो तो आईएएस में सफलता दिलाता है।
9 सूर्य और बृहस्पति का योग लग्न में होना भी आईएएस के क्षेत्र की सफलता देता है।
10 कुंडली में बुधादित्य योग शुभ स्थान में बनना मेष,मिथुन, सिंह और कन्या राशि में बनना भी सिविल सर्विसिस के कॉम्पटीशन में सफलता दिलाता है।

विशेष – जैसा की हमने यहाँ स्पष्ठ किया के मंगल, बृहस्पति और सूर्य को सिविल सर्विसिस के लिए मुख्य कारक ग्रह माना गया है पर बिना सूर्य के अच्छी स्थिति में हुए सरकारी सेवा का योग नहीं बनता अतः सिविल सर्विस में जाने के लिए मंगल और सूर्य दोनों ही अच्छी स्थिति में होने चाहियें इसके अतिरिक्त किस व्यक्ति को इस क्षेत्र में कितनी जल्दी या किस स्तर की सफलता मिलेगी यह किसी भी व्यक्ति की अपनी कुंडली पर निर्भर करता है क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति की कुंडली में ग्रहस्थिति भिन्न होती है, उदाहरण के लिए यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में पंचम भाव बुध और बृहस्पति कमजोर होने से उसकी शिक्षा ही अच्छी नहीं रही तो फिर मंगल बलवान होने पर भी वह सिविल सर्विस में सफल कैसे हो सकता है क्योंकि अच्छी शिक्षा के बिना तो इस क्षेत्र में आगे बढ़ना संभव ही नहीं है इसी प्रकार दो अलग अलग व्यक्तियों की कुंडली में आजीविका का स्तर भी भिन्न भिन्न होने पर कोण किस स्तर तक उन्नति करेगा यह व्यक्ति की व्यक्तिगत कुंडली की क्षमता पर निर्भर करता है। मंगल की प्रधानता विशेषकर आईपीएस की और तथा बृहस्पति की प्रधानता आईएएस की और सफलता दिलाती है पर सूर्य की यहाँ बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका है जो दोनों ही क्षेत्रों में महत्वपूर्ण है जिन लोगो की कुंडली में सूर्य नीच राशि में हो राहु से पीड़ित हो या अन्य प्रकार कमजोर हो ऐसे व्यक्तियों को सिविल सर्विसिस में आसानी से सफलता नहीं मिलती इसी प्रकार कुंडली का छटा भाव भी यदि पीड़ित हो तो व्यक्ति बहुत बार कॉम्पटीशन में सफल ना होने के कारण इस क्षेत्र में आगे नहीं बढ़ पाता अतः सूर्य और छटे भाव का बली होना भी सिविल सर्विसिस के लिए बहुत आवश्यक है।
यदि आप बारम्बार इन परीक्षाओं में असफल हो रहे है तो कि योग्य ज्योतिषाचार्य से परामर्श लेकर कुछ उपाय करने पर सफल भी हो सकते हैं।।

गुरुवार, 7 जून 2018

जन्म पत्री मृतक की है या जीवित की, ज्ञात करने की विधि

जन्म पत्री मृतक की है या जीवित की, अर्थात कुंडली देख कर ये ज्ञात करना कि जातक जिन्दा है या मर चूका :

इसमें जन्म लग्न, अष्टम स्थान की राशि और प्रश्न लग्न इन तीनो की संख्या को जोड़ कर जन्मकुंडली के अष्टमेश की राशि संख्या से गुणा कर के लग्नेश की राशि संख्या से भाग देने पर विषम अंक - 1,3,5,7,9,11 शेष रहे तो जीवित की और सम अंक - 2,4,6,8,10,12 शेष रहे तो मृतक की जन्म पत्रिका होती है।

उदहारण : प्रश्न लग्न तुला, जन्म लग्न मीन और अष्टमेश की राशि 9, लग्नेश की राशि 5

7 (प्रश्न लग्न) + 12 (जन्म लग्न) + 7 ( अष्टम स्थान की राशि ) = 26 × 9 ( अष्टमेश की राशि ) = 234 ÷ 5 ( लग्नेश की राशि ) = 46 लब्ध 4 शेष ।

अतएव मृतक की जन्म पत्रिका है ।

नोट : ये विधि श्री नेमीचंद शास्त्री जी द्वारा लिखी हुई पुस्तक " भारतीय ज्योतिष" में बताई गई है ।

सोमवार, 4 जून 2018

लग्नेश के नवांश से मृत्यु और रोग का अनुमान

1- मेष नवांश हो तो
ज्वर,ताप जठराग्नि तथा पित्तदोष से मृत्यु हो।
2- वृष नवांश हो तो
दमा,शूल त्रिदोषादि, ऐपेंडिसाइटिस से मृत्यु हो।
3- मिथुन नवांश हो तो सिर वेदना।
4- कर्क नवांश हो तो
वात रोग व उन्माद से मृत्यु हो।
5- सिंह नवांश हो तो
विस्फोटकादि, घाव, विष, शस्त्राघात और ज्वर से मृत्यु।
6- कन्या नवांश हो तो
गुह्य रोग, जठराग्नि विकार से मृत्यु हो।
7- तुला नवांश में  हो तो
शोक, बुद्धि दोष, चतुष्पद के आघात से मृत्यु हो।
8- वृश्चिक नवांश में
पत्थर अथवा शस्त्र चोट से, पाण्डु ग्रहणी वेग से।
9- धनु नवांश में
गठिया, विष शस्त्राघात से मृत्यु हो।
10- मकर नवांश में
व्याघ्र, शेर,पशुओं से घात, शूल, अरुचि रोग से मृत्यु।
11- कुंभ नवांश में
स्त्री से विष पान श्वांस तथा ज्वर से मृत्यु हो।
12- मीन नवांश में
जल से तथा संग्रहणी रोग से मृत्यु हो सकती है।

विशिष्ट पोस्ट

नक्षत्र स्वामी के अनुसार पीपल वृक्ष के उपाय

ज्योतिष शास्त्र अनुसार प्रत्येक ग्रह 3, 3 नक्षत्रों के स्वामी होते है. कोई भी व्यक्ति जिस भी नक्षत्र में जन्मा हो वह उसके स्वामी ग्रह से स...