1- तृतीय भाव का अधिपति और चंद्रमा केंद्र या त्रिकोण भावों में स्थित हो तो जातक को संतान सुख में बाधा होती है।
2- लग्न में मंगल, आठवें शनि और पंचम भाव में शनि हो तो भी जातक को संतान सुख में बाधा होती है।
3- बुध और लग्न भाव का अधिपति ये दोनों लग्न के अलावा केंद्र स्थानों में हो तो भी संतान सुख में बाधा होती है।
4- लग्न, अष्टम एवं बारहवें भाव में पापग्रह हो तो संतान सुख में बाधा उत्पन्न होती है।
5- सप्तम भाव में शुक्र, दशवें भाव में चन्द्रमा एवं सप्तम भाव में शनि या मंगल हो तो संतान सुख में बाधा होती है।
6- तीसरे भाव का अधिपति 1,2,3,5, वें भाव में स्थित हो तथा शुभ से युत या दृष्ट हो तो ऐसे जातक को संतान सुख में बाधा होती है।
2- लग्न में मंगल, आठवें शनि और पंचम भाव में शनि हो तो भी जातक को संतान सुख में बाधा होती है।
3- बुध और लग्न भाव का अधिपति ये दोनों लग्न के अलावा केंद्र स्थानों में हो तो भी संतान सुख में बाधा होती है।
4- लग्न, अष्टम एवं बारहवें भाव में पापग्रह हो तो संतान सुख में बाधा उत्पन्न होती है।
5- सप्तम भाव में शुक्र, दशवें भाव में चन्द्रमा एवं सप्तम भाव में शनि या मंगल हो तो संतान सुख में बाधा होती है।
6- तीसरे भाव का अधिपति 1,2,3,5, वें भाव में स्थित हो तथा शुभ से युत या दृष्ट हो तो ऐसे जातक को संतान सुख में बाधा होती है।
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