मंगलवार, 3 अप्रैल 2018

संतान प्रतिबंधक योग

1- तृतीय भाव का अधिपति और चंद्रमा केंद्र या त्रिकोण भावों में स्थित हो तो जातक को संतान सुख में बाधा होती है।

2- लग्न में मंगल, आठवें शनि और पंचम भाव में शनि हो तो भी जातक को संतान सुख में बाधा होती है।

3- बुध और लग्न भाव का अधिपति ये दोनों लग्न के अलावा केंद्र स्थानों में हो तो भी संतान सुख में बाधा होती है।

4- लग्न, अष्टम एवं बारहवें भाव में पापग्रह हो तो संतान सुख में बाधा उत्पन्न होती है।

5- सप्तम भाव में शुक्र, दशवें भाव में चन्द्रमा एवं सप्तम भाव में शनि या मंगल हो तो संतान सुख में बाधा होती है।

6- तीसरे भाव का अधिपति 1,2,3,5, वें भाव में स्थित हो तथा शुभ से युत या दृष्ट हो तो ऐसे जातक को संतान सुख में बाधा होती है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.

विशिष्ट पोस्ट

नक्षत्र स्वामी के अनुसार पीपल वृक्ष के उपाय

ज्योतिष शास्त्र अनुसार प्रत्येक ग्रह 3, 3 नक्षत्रों के स्वामी होते है. कोई भी व्यक्ति जिस भी नक्षत्र में जन्मा हो वह उसके स्वामी ग्रह से स...