अक्सर लोग लग्न कुन्डली, राशि कुन्डली, सूर्य कुन्डली ओर नवमांश कुन्डली से प्रभावशाली ग्रह का निर्धारण करते है ये सही भी है पर कभी कभी ये सही नही भी होता है कारण शुक्ष्म विश्लेषण ना होना ।
अक्सर ज्योतिषी नक्षत्र को नजर अंदाज करते है
उदाहरण के लिये
किसी का तुला लग्न है
शनि उच्च राशि के हो
गुरु उच्च राशि के हो
चन्द्रमा स्वगृही हो
सूर्य उच्च के हो
शुक्र मेश राशि मे
ऐसे मे नवमांश मे भी ऐसी ही स्थिति हो तो कैसे सबसे प्रभावशाली ग्रह का निर्धारण हो?
यहा पर नक्षत्र की भुमिका अहम होगी । सबसे ज्यादा ग्रह किसी 1 ग्रह के नक्षत्र मे होगे तो उस नक्षत्र का स्वामी ग्रह की जातक का भाग्य विधाता बन जायेगा ।
ऊपर के उदाहरन मे
शनि शुक्र के नक्षत्र पूर्व फाल्गुनी
गुरु शनि के नक्षत्र पुस्य
चन्द्र शनि के नक्षत्र पुस्य
सूर्य शुक्र के नक्षत्र मे
शुक्र शुक्र के नक्षत्र भरनी मे
बाकी ग्रह भी यदि पूर्वाफाल्गुनी , पूर्वाषाढ़ा शुक्र के नक्षत्र मे हो तो तो कहा जायेगा की जातक पर शुक्र का प्रभाव ज्यादा होगा इसलिये जातक को उच्च के गुरु सूर्य शनि जातक पर ज्यादा प्रभाव नहीं डाल पायेंगे ।
अक्सर ज्योतिषी नक्षत्र को नजर अंदाज करते है
उदाहरण के लिये
किसी का तुला लग्न है
शनि उच्च राशि के हो
गुरु उच्च राशि के हो
चन्द्रमा स्वगृही हो
सूर्य उच्च के हो
शुक्र मेश राशि मे
ऐसे मे नवमांश मे भी ऐसी ही स्थिति हो तो कैसे सबसे प्रभावशाली ग्रह का निर्धारण हो?
यहा पर नक्षत्र की भुमिका अहम होगी । सबसे ज्यादा ग्रह किसी 1 ग्रह के नक्षत्र मे होगे तो उस नक्षत्र का स्वामी ग्रह की जातक का भाग्य विधाता बन जायेगा ।
ऊपर के उदाहरन मे
शनि शुक्र के नक्षत्र पूर्व फाल्गुनी
गुरु शनि के नक्षत्र पुस्य
चन्द्र शनि के नक्षत्र पुस्य
सूर्य शुक्र के नक्षत्र मे
शुक्र शुक्र के नक्षत्र भरनी मे
बाकी ग्रह भी यदि पूर्वाफाल्गुनी , पूर्वाषाढ़ा शुक्र के नक्षत्र मे हो तो तो कहा जायेगा की जातक पर शुक्र का प्रभाव ज्यादा होगा इसलिये जातक को उच्च के गुरु सूर्य शनि जातक पर ज्यादा प्रभाव नहीं डाल पायेंगे ।
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