मंगलवार, 13 फ़रवरी 2018

भाग्य में बाधा डालने वाले कुछ योग एवं उपाय

भाग्य में बाधा डालने वाले कुछ योग :-

1 लग्नेश यदि नीच राशि में, छठे, आठवे, 12 भाव में हो तो भाग्य में बाधा आती है।

2 राहू यदि लग्न में नीच का शनि जन्मपत्री में किसी भी स्थान में हो, तथा मंगल चतुर्थ स्थान में हो तो भाग्य में बांधा आती है।

3 लग्नेश सूर्य चंद्र व राहू के साथ 12वें भाव में हो तो भाग्य में बाधा आती है।

4 लग्नेश यदि तुला राशि के सूर्य तथा शनि के साथ छठे, 8वें में हो तो जातक का भाग्य साथ नहीं देता।

5 पंचम भाव का स्वामी यदि नीच का हो या वक्री हो तथा छठे, आठवें, 12वें भाव में स्थित हो तो भाग्य के धोखे सहने पड़ते हैं।

6 पंचम भाव का स्वामी तथा नवमेश यदि नीच के होकर छठे भाव में हो तो शत्रुओं द्वारा बाधा आती है।

7 पंचम भाव पर राहु, केतु तथा सूर्य का प्रभाव हो लग्नेश छठे भाव में हो पितृदोष के कारण भाग्य में बाधा आती है।

8 मकर राशि का गुरु पंचम भाव में यदि हो तो भाग्य के धक्के सहने पड़ते हैं।

9 पंचमेश यदि 12वें भाव में मीन राशि के बुध के साथ हो भाग्य में बाधा आती है।

10 पंचम या नवम भाव में सूर्य उच्च के शनि के साथ हो तो भाग्य में बाधा देखी जाती है।

11 नवम भाव में यदि राहु के साथ नवमेश हो तो भाग्य बन जाता है।

12 नवम भाव में सूर्य के साथ शुक्र यदि शनि द्वारा देखा जाता हो। तो भाग्य साथ नहीं देता।

13 नवमेश यदि 12वें या 8 वें भाव में पाप ग्रह द्वारा देखा जाता हो, तो भाग्य साथ नही देता।

14 नवम भाव का स्वामी 8वें भाव में राहु के साथ स्थित हो तो पग-पग पर ठोकरे खानी पड़ती है।

15 नवमेश यदि द्वितीय भाव में राहु-केतु के साथ, शनि द्वारा देखा जाता है, तो व्यक्ति का भाग्य बंध जाता है।

16 नवमेश यदि द्वादश भाव में षष्ठेश के साथ स्थित होकर पाप ग्रहों द्वारा देखा जाता हो, तो बीमारी कर्जा व रोग के कारण कष्ट उठाने पड़ते है।

17 नीच का गुरु नवमेश के साथ अष्टम भाव में राहु, केतु द्वारा दृष्ट हो तो गुरु छठे, 8वें, 12वें राहु शनि द्वारा देखा जाता हो तो भाग्य साथ नहीं देता।

18 नीचे का गुरु छठे, 8वें, और 12वें राहु शनि द्वारा देखा जाता हो तो भाग्य साथ नहीं देता।


भाग्य बाधा निवारण के उपाय

सूर्य गुरु लग्नेश व भाग्येश के शुभ उपाय करने से भाग्य संबंधी बाधाएं दूर हो जाती है।

1 गायत्री मंत्र का जाप करके भगवान सूर्य को जल दें।

2 प्रात:काल उठकर माता-पिता के चरण छूकर आशीर्वाद लें।

3 अपने ज्ञान, सामर्थ और पद प्रतिष्ठा का कभी भी अहंकार न करें।

4 किसी भी निर्बल व असहाय व्यक्ति की बददुआ न ले।

5वद्धाश्रम और कमजोर वर्ग की यदाशक्ति तन, मन और धन से मदद करें।

6 सप्ताह में एक दिन मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारा जाकर ईश्वर से शुभ मंगल की प्रार्थना करें। मंदिर निर्माण में लोहा, सीमेंट, सरिया इत्यादि का दान देकर मंदिर निर्माण में मदद करें।

7 पांच सोमवार रुद्र अभिषेक का पाठ करने से भाग्य संबंधी अवरोध दूर होते है।

8 ‘ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय’।

इस द्वादश अक्षर मंत्र का जाप 108 बार रोज करने से बंधा हुआ भाग्य खुलने लगता है।

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