शुक्र शनि दशा विशेष नियमपराशर ज्योतिष का एक ये विशेष नियम है की शुक्र अपना फल अपनी महादशा में शनि की अन्तर्दशा में देता है और शनिअपना फल अपनी महादशा में जब शुक्र की अन्तर्दशा आती है तब देता है अब इस नियम की एक ख़ास बात ये भी है की जब कुंडली में ये दोनों अपनी उंच राशि स्वराशि में होकर शुभ स्थानो में स्थित हो तो इनकी दशा अन्तर्दशा जातक को बर्बाद करने का कार्य करती है लेकिन जब इन दोनों में से कोई एक यदि नीच राशि शत्रु राशि में सिथत होकर अशुभ स्थानों में होतो इनकी दशा योगकारक होकर जातक को विशेष शुभ फल देती है ऐसे ही यदि ये दोनों अपनी नीच राशि शत्रु राशि में स्थित होकर त्रिक भाव में हो तो इनकी दशा अन्तर्दशा में जातक को विशेष शुभ फल मिलते है यदि इन दोनों में से कोई एक त्रिक भाव का स्वामी हो और दूसरा शुभ भाव का स्वामी हो तो भी इनकी दशा विशेष रूप से शुभ फल जातक को देती है यदि ये दोनों अशुभ भावों के स्वामी हो तो भी इनकी दशा विशेष रूप से योगकारक होकर जातक को अच्छे फल देती है जिन जातकों ने इनकी दशा अन्तर्दशा भुगती है वो ये नियम अपने उपर लगाकर खुद देख सकते है की ये नियम कितना स्टिक है।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
विशिष्ट पोस्ट
नक्षत्र स्वामी के अनुसार पीपल वृक्ष के उपाय
ज्योतिष शास्त्र अनुसार प्रत्येक ग्रह 3, 3 नक्षत्रों के स्वामी होते है. कोई भी व्यक्ति जिस भी नक्षत्र में जन्मा हो वह उसके स्वामी ग्रह से स...
-
दंपति की इच्छा होती है कि उनके घर में आने वाला नया सदस्य पुत्र ही हो। कुछ लोग पुत्र-पुत्री में भेद नहीं करते, ऐसे लोगों का प्रतिशत बहुत कम ...
-
ससुराल की दूरी: सप्तम भाव में अगर वृष, सिंह, वृश्चिक या कुंभ राशि स्थित हो, तो लड़की की शादी उसके जन्म स्थान से 90 किलोमीटर के अंदर ही होग...
-
कुंडली के बारे में जानते -पढ़ते -सुनते समय नवमांश कुंडली का जिक्र आप लोगों ने कई बार सुना होगा। तब मन में ये प्रश्न आता होगा कि ये नवमांश कु...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.