1. पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम यानि नैश्रृत्य कोण में मुख्य द्धार की स्थापना अति रोग कारक और अशुभ मानी जाती हैं, क्योंकि यहाँ से आने वाला प्रकाश और वायु मलिन माना गया हैं, इससे बचें.
2. पूर्व दिशा में यदि दिवार बाकि दीवारों से ऊचीं होती हैं तो घर में रहने वालों का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता हैं और इसके विपरीत दक्षिण दिशा में ऊँची दिवार रोगों का नाश करती हैं और सुख कारी होती हैं, क्योंकि शुभकारी पूर्व दिशा की वायु, ऊचीं दिवार रोक देती हैं और दक्षिण दिशा की अशुभकारी वायु भी ऊँची दिवार रोक देती हैं.
3. नैश्रृत्य में जल संचय का स्तोत्र रखने से गम्भीर रोग होने का अंदेशा रहता हैं, वहीँ ईशान कोण में जल संचय करने से स्वास्थय लाभ बना रहता हैं. परन्तु यदि वास्तु स्वामी की जन्म कुंडली में चन्द्रमा नीच का या त्रिक भावों में पाप पीड़ित हो तो ईशान कोण में पानी टैंक अशुभ हो जाता हैं, ऐसी दशा में पहले ज्योतिषी से सलाह लेवें.
4. यदि घर का बरंडा या गैलरी पश्चिम की ओर स्लोब लिए या ढला होगा तो उस गृह के पुरुषों का स्वास्थय ठीक नहीं रहेगा और इसके विपरीत उत्तर की और रहने पर रोगों से बचाव होगा.
5. मनुष्य का मस्तक चुम्बकीय अवधारणा में उत्तरी ध्रुव माना जाता हैं, तो उत्तर दिशा में सिर रख कर सोने से धरती का उत्तरी ध्रुव और मनुष्य का सिर आपस में विकर्षित होते हैं जिससे अनिद्रा का रोग हो सकता हैं और शरीर धीरे धीरे कमजोर हो जाता हैं, दक्षिण में मस्तक रख कर सोने से चुंबकीय आकर्षण से शरीर निरोगी रहता हैं.
6. स्नानागार में एक डब्बे में जिसको ढक्कन न लगा हो, उसमे सफ़ेद नमक रखने से घर में बीमारियों का प्रकोप कम रहता हैं.
7. ईशान कोण या उत्तर दिशा में मुख्य द्धार की स्थति उन्नति कारक और आरोग्यकारक होती हैं, पूर्व का द्धार भी अति शुभ माना गया हैं, क्योंकि यहाँ से आने वाला प्रकाश और वायु स्वास्थय के लिए भी शुभ माना जाता हैं, बिना देहरी के मुख्य द्धार नकारात्मकता को रोक नहीं पाता, देहरी आम की लकड़ी की सर्वोत्तम कही गई हैं.
8. पूजा घर में खंडित मूर्ति या तस्वीर लगाने से स्वास्थय संबंधी परेशानियाँ हो सकती हैं, अगर घर में खंडित या टूटी हुई मूर्तियाँ या तस्वीरें हो तो उन्हें नदी में विसर्जित कर देवें, दक्षिण की दिवार पर पितृ की तस्वीर या पंचमुखी बालाजी की तस्वीर के अलावा अन्य देवी देवताओं की तस्वीर अशांति और दुर्भाग्य लाती हैं.
9. दक्षिण दिशा में या नैश्रृत्य कोण में मुख्य द्धार होने पर घर की स्त्रियों का सुख एवं स्वास्थय सही नहीं रहता हैं, अतः ईशान में द्धार की व्यवस्था करें.
10. ईशान कोण में तुलसी का पौधा रखने से घर की स्त्रियों का स्वास्थय कभी ठीक नहीं रहता, इसलिये तुलसी को पश्चिम दिशा में लगाये जो की स्त्री जाती के लिए आरोग्यदायक हैं.
11. पश्चिम दिशा में अंडर ग्राउंड या तहखाना बनाने से अनेक विपदाओं का सामना करना पड़ सकता हैं, उत्तर दिशा में तहखाना बनाने से स्त्रियाँ सुखी और संपन्न रहती हैं.
12. घर में छोटा सा कोना कच्चा, मिट्टी युक्त रखने से शुक्र ग्रह का अच्छा प्रभाव रहता है, जो स्त्रियों के स्वास्थय एवं लक्ष्मी प्राप्ति हेतु अच्छा प्रभाव करता है, ये पूर्व दिशा में श्रेयस्कर हैं.
2. पूर्व दिशा में यदि दिवार बाकि दीवारों से ऊचीं होती हैं तो घर में रहने वालों का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता हैं और इसके विपरीत दक्षिण दिशा में ऊँची दिवार रोगों का नाश करती हैं और सुख कारी होती हैं, क्योंकि शुभकारी पूर्व दिशा की वायु, ऊचीं दिवार रोक देती हैं और दक्षिण दिशा की अशुभकारी वायु भी ऊँची दिवार रोक देती हैं.
3. नैश्रृत्य में जल संचय का स्तोत्र रखने से गम्भीर रोग होने का अंदेशा रहता हैं, वहीँ ईशान कोण में जल संचय करने से स्वास्थय लाभ बना रहता हैं. परन्तु यदि वास्तु स्वामी की जन्म कुंडली में चन्द्रमा नीच का या त्रिक भावों में पाप पीड़ित हो तो ईशान कोण में पानी टैंक अशुभ हो जाता हैं, ऐसी दशा में पहले ज्योतिषी से सलाह लेवें.
4. यदि घर का बरंडा या गैलरी पश्चिम की ओर स्लोब लिए या ढला होगा तो उस गृह के पुरुषों का स्वास्थय ठीक नहीं रहेगा और इसके विपरीत उत्तर की और रहने पर रोगों से बचाव होगा.
5. मनुष्य का मस्तक चुम्बकीय अवधारणा में उत्तरी ध्रुव माना जाता हैं, तो उत्तर दिशा में सिर रख कर सोने से धरती का उत्तरी ध्रुव और मनुष्य का सिर आपस में विकर्षित होते हैं जिससे अनिद्रा का रोग हो सकता हैं और शरीर धीरे धीरे कमजोर हो जाता हैं, दक्षिण में मस्तक रख कर सोने से चुंबकीय आकर्षण से शरीर निरोगी रहता हैं.
6. स्नानागार में एक डब्बे में जिसको ढक्कन न लगा हो, उसमे सफ़ेद नमक रखने से घर में बीमारियों का प्रकोप कम रहता हैं.
7. ईशान कोण या उत्तर दिशा में मुख्य द्धार की स्थति उन्नति कारक और आरोग्यकारक होती हैं, पूर्व का द्धार भी अति शुभ माना गया हैं, क्योंकि यहाँ से आने वाला प्रकाश और वायु स्वास्थय के लिए भी शुभ माना जाता हैं, बिना देहरी के मुख्य द्धार नकारात्मकता को रोक नहीं पाता, देहरी आम की लकड़ी की सर्वोत्तम कही गई हैं.
8. पूजा घर में खंडित मूर्ति या तस्वीर लगाने से स्वास्थय संबंधी परेशानियाँ हो सकती हैं, अगर घर में खंडित या टूटी हुई मूर्तियाँ या तस्वीरें हो तो उन्हें नदी में विसर्जित कर देवें, दक्षिण की दिवार पर पितृ की तस्वीर या पंचमुखी बालाजी की तस्वीर के अलावा अन्य देवी देवताओं की तस्वीर अशांति और दुर्भाग्य लाती हैं.
9. दक्षिण दिशा में या नैश्रृत्य कोण में मुख्य द्धार होने पर घर की स्त्रियों का सुख एवं स्वास्थय सही नहीं रहता हैं, अतः ईशान में द्धार की व्यवस्था करें.
10. ईशान कोण में तुलसी का पौधा रखने से घर की स्त्रियों का स्वास्थय कभी ठीक नहीं रहता, इसलिये तुलसी को पश्चिम दिशा में लगाये जो की स्त्री जाती के लिए आरोग्यदायक हैं.
11. पश्चिम दिशा में अंडर ग्राउंड या तहखाना बनाने से अनेक विपदाओं का सामना करना पड़ सकता हैं, उत्तर दिशा में तहखाना बनाने से स्त्रियाँ सुखी और संपन्न रहती हैं.
12. घर में छोटा सा कोना कच्चा, मिट्टी युक्त रखने से शुक्र ग्रह का अच्छा प्रभाव रहता है, जो स्त्रियों के स्वास्थय एवं लक्ष्मी प्राप्ति हेतु अच्छा प्रभाव करता है, ये पूर्व दिशा में श्रेयस्कर हैं.
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