१. सुनफा योग -
योग - जिस जातक की कुंडली में चंद्रमा से २ रे भाव में मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, या शनि ये ५ ग्रह होतो यह योग होता है। किन्तु १२ वे भाव में कोई भी ग्रह नहीं होतो इस योग की स्रष्टि होती है। जिसको सुनफा योग कहा जाता है।
परिणाम -इस योग में उत्पन्न जातक बुद्धिमान , धनवान तथा ख्याति प्राप्त होता है। विशेष प्रभाव जातक को चन्द्रमा से २ रे भाव में स्थित ग्रहों के गुणों के आधार पर होता है। यदि चन्द्र्मा से २ रे भाव में मंगल होने पर जातक बलवान , पराक्रमी, वाणी में उग्रता तथा विरोध, बुध होने पर कुशाग्र बुद्धि , सुन्दर , हंसमुख, तथा कलाप्रेमी। गुरु होने पर विद्वान ,धनवान, समृद्ध , राजकृपा प्राप्त, . शुक्र होने पर बुद्धिमान, भोग-विलास के सुख साधनों से युक्त , मकान तथा वाहन सुख से युक्त। शनि होने पर धनी, नीतिवान तथा किसी सभा सोसायटी का मुखिया होता है।
नोट -अन्य ग्रहों की युति से फल बदल जायेगे।
२. अनफा योग -
परिभाषा -जिस जातक की कुंडली में चंद्रमा से १२ वे भाव में मंगल. बुध, गुरु, शुक्र अथवा शनि हो तथा दुसरे भाव में कोई भी ग्रह न होतो यह अनफा योग बनता है।
परिणाम - जिस जातक की कुंडली में अनफा योग का निर्माण होता है वह जातक सुंदर, स्वस्थ , समाज में प्रतिष्ठित , संतोषी , विचारवान तथा चरित्रवान होता है।
विशेष - यदि चंद्रमा से १२ भाव में मंगल होतो-उग्र स्वभाव, संघर्ष रत, स्वार्थी , चोरी की प्रव्रत्ति वाला।
२. यदि बुध होतो -सुंदर, पुण्यात्मा , संगीत-काव्य में रूचि.
३. गुरु होतो- बुद्धिमान, काव्य-कला में रूचि, राज्य से क्रपा प्राप्त।
४. शुक्र होतो-धनवान , भोग-विलास का शौकीन , सुख के साधनों से युक्त.
५. शनी होने पर गुणवान, विचारशील तथा चिंताओं से युक्त होता है।
नोट -अन्य ग्रहों की युति से फल बदल जायेगे।
योग - जिस जातक की कुंडली में चंद्रमा से २ रे भाव में मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, या शनि ये ५ ग्रह होतो यह योग होता है। किन्तु १२ वे भाव में कोई भी ग्रह नहीं होतो इस योग की स्रष्टि होती है। जिसको सुनफा योग कहा जाता है।
परिणाम -इस योग में उत्पन्न जातक बुद्धिमान , धनवान तथा ख्याति प्राप्त होता है। विशेष प्रभाव जातक को चन्द्रमा से २ रे भाव में स्थित ग्रहों के गुणों के आधार पर होता है। यदि चन्द्र्मा से २ रे भाव में मंगल होने पर जातक बलवान , पराक्रमी, वाणी में उग्रता तथा विरोध, बुध होने पर कुशाग्र बुद्धि , सुन्दर , हंसमुख, तथा कलाप्रेमी। गुरु होने पर विद्वान ,धनवान, समृद्ध , राजकृपा प्राप्त, . शुक्र होने पर बुद्धिमान, भोग-विलास के सुख साधनों से युक्त , मकान तथा वाहन सुख से युक्त। शनि होने पर धनी, नीतिवान तथा किसी सभा सोसायटी का मुखिया होता है।
नोट -अन्य ग्रहों की युति से फल बदल जायेगे।
२. अनफा योग -
परिभाषा -जिस जातक की कुंडली में चंद्रमा से १२ वे भाव में मंगल. बुध, गुरु, शुक्र अथवा शनि हो तथा दुसरे भाव में कोई भी ग्रह न होतो यह अनफा योग बनता है।
परिणाम - जिस जातक की कुंडली में अनफा योग का निर्माण होता है वह जातक सुंदर, स्वस्थ , समाज में प्रतिष्ठित , संतोषी , विचारवान तथा चरित्रवान होता है।
विशेष - यदि चंद्रमा से १२ भाव में मंगल होतो-उग्र स्वभाव, संघर्ष रत, स्वार्थी , चोरी की प्रव्रत्ति वाला।
२. यदि बुध होतो -सुंदर, पुण्यात्मा , संगीत-काव्य में रूचि.
३. गुरु होतो- बुद्धिमान, काव्य-कला में रूचि, राज्य से क्रपा प्राप्त।
४. शुक्र होतो-धनवान , भोग-विलास का शौकीन , सुख के साधनों से युक्त.
५. शनी होने पर गुणवान, विचारशील तथा चिंताओं से युक्त होता है।
नोट -अन्य ग्रहों की युति से फल बदल जायेगे।
सरजी नमस्कार
जवाब देंहटाएंमेरा जनम 17/1/1976 को सुबह 8.25 बजेट हुआ है. मेरी कुंडली मे सप्तम भाव मे शनी चंद्र युती कर्क राशी मे है और लग्न भाव मे मकर राशी मे सुर्य बुध युती है. इसका क्या फल मिलेगा? और पंचम भाव मे मंगल वृषभ राशीमे है ऊसके सामने लाभ भाव मे शुक्र वृश्चिक राशी मे है. शुक्र मंगल परस्पर परिवर्तन और समसप्तम योग है. इसका क्या फल मिलेगा?