ज्योतिष मे मुहूर्त का विशेष महत्व है हम कोई भी कार्य करना चाहते है तो अच्छे मुहूर्त मे ही करना चाहते है यात्रा हो विवाह उपनयन या पुजा पाठ अथवा कोई भी शुभ कार्य करने के पहले हमे मुहूर्त की आवश्यकता होती है ।
आइये सबसे पहले हम जानते है कि मुहूर्त क्या है हमारे यंहा समय की गणना के लिये बहुत सी पद्धतियाँ है और हम सूक्ष्म से सूक्ष्म गणित इन्हीं पद्धतियों के माध्यम से करते है इन्हीं पद्धतियों मे एक पद्धति है मुहूर्त इस मुहूर्त के पद्धति से हम शुभ समय निकालते है जिसमें हम शुभ कार्य आरंभ करते है ।
1 मुहूर्त का समय 2 घटी अर्थात् 48 मिनट होता है । और इस प्रकार हमारे 1 दिनमान मे 16 मुहूर्त निवास करता है ।
ये हमने संक्षिप्त मे मुहूर्त का परिचय बताया है ।
आप सभी जानते है कि हमारे जीवन मे मुहूर्त का क्या महत्व है और उसकी क्या उपयोगिता है ये बताने की आवश्यकता नहीं है ।
उपनयन, विवाह, गृह प्रवेश, गृहारंभ, देव प्राण प्रतिष्ठा आदि बहुत से कार्य ऐसे है जिनके लिए हम पहले मुहूर्त का निर्धारण करते है फिर उसकी तैयारी करते है और समय आने पर निर्धारित मुहूर्त मे उस कार्य को संपादित करते हैं मगर हमारे जीवन मे कुछ कार्य ऐसे भी आ जाते हैं जो हमे अचानक करना होता है जैसे यात्रा आदि कार्य ऐसे है जो अचानक भी करना पड़ता है ऐसे ही बहुत से ऐसे कार्य है जिसके लिए हम शुभ मुहूर्त का इंतजार नही कर सकते है हमे वह कार्य तत्काल करना होता है ऐसी परिस्थितिमें हमे कोई शुभ मुहूर्त तुरंत मिल जाएं तो हम अपना कार्य शुभ मुहूर्त मे कर सकते है ।
इसी बात को विचार मे रखकर हम एक ऐसे मुहूर्त चक्र का वर्णन करने जा रहे है जिसमें प्रतिदिन 16 मुहूर्त होता है हम इनमें से शुभ मुहूर्त का निर्धारण करके यात्रादि शुभ कार्य कर सकते है ।
ये सभी मुहूर्त वार +नक्षत्र अथवा तिथि आदि के संयोग से बनता है । प्रतिदिन बनने वाले इन 16 योगों के नाम इसप्रकार है 1-अमृत सिद्ध योग 2- सर्वार्थ सिद्धि योग 3- सिद्धि योग नक्षत्र 4- सिद्धि योग तिथि 5- रत्नांकुर योग 6- मृत्यु योग 7-मृत्युदा तिथि 8- क्रकच योग 9- दग्ध योग 10- उत्पात योग 11- काल योग 12- यमघण्ट योग- 13- यमद्रष्टा योग 14- मुसल या वज्र योग 15- राक्षस योग और 16- कोण योग है ।इनमें पहले के पांच (5)मुहूर्त शुभ होते है और शेष 11 मुहूर्त अशुभ होते हैं जिनका त्याग करना जरूरी होता है ।
मगर कुछ शुभ मुहूर्त भी तिथि आदि के संयोग से दूषित हो जाते है जो सामान्य व्यक्ति को पता नहीं चलता है और दूषित मुहूर्त मे ही कार्य कर जाते है जिससे कार्य की सिद्धि संदेहास्पद हो जाता है या तो फल नष्ट हो जाता है या फल बदल जाता हैं ।
जैसे रविवार हो और हस्त नक्षत्र हो तो अमृत सिद्धि योग होता है मगर यदि उस दिन 5 अर्थात् पंचमी तिथि हो तो अमृत सिद्धि योग मे विषयोग तिथि होने से इसमें शुभ कार्य नही करना चाहिए ।
इसी प्रकार सोमवार का दिन हो मृगशिरा नक्षत्र होने पर अमृत सिद्धि योग होता है मगर षष्ठी तिथि होने पर यह अमृत सिद्धि योग दूषित हो जाता है अतः इस मुहूर्त मे शुभ कार्य नही करने चाहिए।
आइये सबसे पहले हम जानते है कि मुहूर्त क्या है हमारे यंहा समय की गणना के लिये बहुत सी पद्धतियाँ है और हम सूक्ष्म से सूक्ष्म गणित इन्हीं पद्धतियों के माध्यम से करते है इन्हीं पद्धतियों मे एक पद्धति है मुहूर्त इस मुहूर्त के पद्धति से हम शुभ समय निकालते है जिसमें हम शुभ कार्य आरंभ करते है ।
1 मुहूर्त का समय 2 घटी अर्थात् 48 मिनट होता है । और इस प्रकार हमारे 1 दिनमान मे 16 मुहूर्त निवास करता है ।
ये हमने संक्षिप्त मे मुहूर्त का परिचय बताया है ।
आप सभी जानते है कि हमारे जीवन मे मुहूर्त का क्या महत्व है और उसकी क्या उपयोगिता है ये बताने की आवश्यकता नहीं है ।
उपनयन, विवाह, गृह प्रवेश, गृहारंभ, देव प्राण प्रतिष्ठा आदि बहुत से कार्य ऐसे है जिनके लिए हम पहले मुहूर्त का निर्धारण करते है फिर उसकी तैयारी करते है और समय आने पर निर्धारित मुहूर्त मे उस कार्य को संपादित करते हैं मगर हमारे जीवन मे कुछ कार्य ऐसे भी आ जाते हैं जो हमे अचानक करना होता है जैसे यात्रा आदि कार्य ऐसे है जो अचानक भी करना पड़ता है ऐसे ही बहुत से ऐसे कार्य है जिसके लिए हम शुभ मुहूर्त का इंतजार नही कर सकते है हमे वह कार्य तत्काल करना होता है ऐसी परिस्थितिमें हमे कोई शुभ मुहूर्त तुरंत मिल जाएं तो हम अपना कार्य शुभ मुहूर्त मे कर सकते है ।
इसी बात को विचार मे रखकर हम एक ऐसे मुहूर्त चक्र का वर्णन करने जा रहे है जिसमें प्रतिदिन 16 मुहूर्त होता है हम इनमें से शुभ मुहूर्त का निर्धारण करके यात्रादि शुभ कार्य कर सकते है ।
ये सभी मुहूर्त वार +नक्षत्र अथवा तिथि आदि के संयोग से बनता है । प्रतिदिन बनने वाले इन 16 योगों के नाम इसप्रकार है 1-अमृत सिद्ध योग 2- सर्वार्थ सिद्धि योग 3- सिद्धि योग नक्षत्र 4- सिद्धि योग तिथि 5- रत्नांकुर योग 6- मृत्यु योग 7-मृत्युदा तिथि 8- क्रकच योग 9- दग्ध योग 10- उत्पात योग 11- काल योग 12- यमघण्ट योग- 13- यमद्रष्टा योग 14- मुसल या वज्र योग 15- राक्षस योग और 16- कोण योग है ।इनमें पहले के पांच (5)मुहूर्त शुभ होते है और शेष 11 मुहूर्त अशुभ होते हैं जिनका त्याग करना जरूरी होता है ।
मगर कुछ शुभ मुहूर्त भी तिथि आदि के संयोग से दूषित हो जाते है जो सामान्य व्यक्ति को पता नहीं चलता है और दूषित मुहूर्त मे ही कार्य कर जाते है जिससे कार्य की सिद्धि संदेहास्पद हो जाता है या तो फल नष्ट हो जाता है या फल बदल जाता हैं ।
जैसे रविवार हो और हस्त नक्षत्र हो तो अमृत सिद्धि योग होता है मगर यदि उस दिन 5 अर्थात् पंचमी तिथि हो तो अमृत सिद्धि योग मे विषयोग तिथि होने से इसमें शुभ कार्य नही करना चाहिए ।
इसी प्रकार सोमवार का दिन हो मृगशिरा नक्षत्र होने पर अमृत सिद्धि योग होता है मगर षष्ठी तिथि होने पर यह अमृत सिद्धि योग दूषित हो जाता है अतः इस मुहूर्त मे शुभ कार्य नही करने चाहिए।
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