कालपुरुष की परिकल्पना भारतीय ज्योतिष में मिलती है जिसमें समस्त राशिचक्र को मनुष्य के शरीर के समतुल्य वर्णित किया जाता है।
सारावली ग्रंथ में कहा गया है कि :
शीर्षास्यबाहुह्रदयं जठरं कटिबस्तिमेहनोरुयुगम। जानू जंघे चरणौ कालस्यागांनि राशयोअजाद्या: ॥[1]
१२ राशियां के रूप में कालपुरुष के शरीर के अवयव इस प्रकार से हैं:
मेष - मस्तक,
वृष - मुख,
मिथुन - हाथ,
कर्क - हृदय,
सिंह - पेट,
कन्या - कमर,
तुला - नाभि से जननांग तक,
वृश्चिक - जननांग,
धनु - जांघ,
मकर - घुटना,
कुंभ - पिण्डली,
मीन - पैर.
सारावली ग्रंथ में कहा गया है कि :
शीर्षास्यबाहुह्रदयं जठरं कटिबस्तिमेहनोरुयुगम। जानू जंघे चरणौ कालस्यागांनि राशयोअजाद्या: ॥[1]
१२ राशियां के रूप में कालपुरुष के शरीर के अवयव इस प्रकार से हैं:
मेष - मस्तक,
वृष - मुख,
मिथुन - हाथ,
कर्क - हृदय,
सिंह - पेट,
कन्या - कमर,
तुला - नाभि से जननांग तक,
वृश्चिक - जननांग,
धनु - जांघ,
मकर - घुटना,
कुंभ - पिण्डली,
मीन - पैर.
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