सोमवार, 18 सितंबर 2017

गोमेद रत्न एवं राहु

कुण्डली में राहु जिस भाव में हो उस भाव के शुभ फल को बढ़ाने के लिए राहु रत्न गोमेद पहनना चाहिए (Hessonite should be worn to strengthen the house where Rahu is located). ज्योतिषशास्त्र के अनुसार राहु तीसरे, छठे भाव में हो तो गोमेद पहनना चाहिए. मेष लग्न की कुण्डली में यदि राहु नवें घर में है तो गोमेद पहनने से भाग्य बलवान होता है. राहु यदि दशम अथवा एकादश भाव में है तब भी गोमेद धारण करना उत्तम होता है. लग्न में राहु होने पर स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियों को कम करने हेतु गोमद पहनना फायदेमंद होता है. राजनीति एवं न्याय विभाग से जुड़े लोगों की कुण्डली में राहु मजबूत होने पर सफलता तेजी से मिलती है. राहु को बलवान बनाने के लिए इन्हें गोमेद रत्न धारण करना चाहिए.गोमेद धारण करने का समय (When to wear Gomed / Hessonite)
कोई भी रत्न तब अधिक शुभ फल देता है जब वह शुभ समय में धारण किया जाता है. गोमेद रत्न धारण करने का शुभ और उचित समय तब माना जाता है जब राहु की महादशा अथवा दशा चल रही हो.
गोमेद से लाभ (Benefits from Gomed / Hessonite)
गोमेद पहनने से राहु का अशुभ प्रभाव दूर होता है. कालसर्प दोष के कष्टों से भी बचाव होता है. जिन लोगों की सेहत अक्सर खराब रहती है उन्हें भी गोमेद पहनने से स्वास्थ्य लाभ मिलता है. पाचन सम्बन्धी रोग, त्वचा रोग, क्षय रोग तथा कफ-पित्त को भी यह संतुलित रखता है.राहु तीव्र फल देने वाला ग्रह है. गोमेद पहनने से राहु से मिलने वाले शुभ फलों में तेजी आती है. व्यक्ति को मान-सम्मान एवं धन आदि प्राप्त होता है.

गोमेद विवरण

गोमेद एक रत्न है जिसे राहु ग्रह से समबन्धित किसी भी विषय के लिए धारण करने हेतु ज्योतिषशास्त्री परामर्श देते हैं. गोमेद न सिर्फ राहु ग्रह की बाधाओं को दूर करता है बल्कि, गोमेद कई प्रकार की स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं से भी निजात दिलाता है . गोमेद एक ऐसा रत्न है जो नज़र की बाधाओं, भूत-प्रेत एवं जादू-टोने से भी सुरक्षा प्रदान करता है |

  गोमेद किसे धारण करण चाहिए

कुण्डली में राहु जिस भाव में हो उस भाव के शुभ फल को बढ़ाने के लिए राहु रत्न गोमेद पहनना चाहिए  |ज्योतिषशास्त्र के अनुसार राहु तीसरे, छठे भाव में हो तो गोमेद पहनना चाहिए. मेष लग्न की कुण्डली में यदि राहु नवें घर में है तो गोमेद पहनने से भाग्य बलवान होता है.

राहु यदि दशम अथवा एकादश भाव में है तब भी गोमेद धारण करना उत्तम होता है. लग्न में राहु होने पर स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियों को कम करने हेतु गोमद पहनना फायदेमंद होता है.

राजनीति एवं न्याय विभाग से जुड़े लोगों की कुण्डली में राहु मजबूत होने पर सफलता तेजी से मिलती है. राहु को बलवान बनाने के लिए इन्हें गोमेद रत्न धारण करना चाहिए.गोमेद धारण करने का समय (When to wear Gomed / Hessonite)
कोई भी रत्न तब अधिक शुभ फल देता है जब वह शुभ समय में धारण किया जाता है. गोमेद रत्न धारण करने का शुभ और उचित समय तब माना जाता है जब राहु की महादशा अथवा दशा चल रही हो.

  गोमेद से लाभ

गोमेद पहनने से राहु का अशुभ प्रभाव दूर होता है. कालसर्प दोष के कष्टों से भी बचाव होता है. जिन लोगों की सेहत अक्सर खराब रहती है उन्हें भी गोमेद पहनने से स्वास्थ्य लाभ मिलता है.

पाचन सम्बन्धी रोग, त्वचा रोग, क्षय रोग तथा कफ-पित्त को भी यह संतुलित रखता है. आयुर्वेद के अनुसार गोमेद के भस्म का सेवन करने से बल एवं बुद्धि बढ़ती है. पेट की खराबी में गोमद का भस्म काफी फायदेमंद होता है. राहु तीव्र फल देने वाला ग्रह है.

गोमेद पहनने से राहु से मिलने वाले शुभ फलों में तेजी आती है. व्यक्ति को मान-सम्मान एवं धन आदि प्राप्त होता है.

आप यह भी पसंद कर सकते हैंगोमेद पितृ एवं कुल दोष नाशक रत्न है.

महाराजा गाधि के पुत्र विश्वरथ जो बाद में विश्वामित्र के नाम से जाने गए, एक बार शिकार के लिए जंगल में गए. वहा से नजदीक ही ब्रह्मर्षि वशिष्ठ का आश्रम था. राजपुत्र विश्वरथ अपने साम्राज्य में जंगल में तपस्वी वशिष्ठ का हाल चाल जानने आश्रम पहुंचे. उनके साथ में उनके अनुचर और सेना थी. महर्षि वशिष्ठ ने राजपुत्र क़ी खूब आवभगत क़ी. फिर समाचार पूछा. उसके बाद पूछा कि राजपुत्र क्या खाना पसंद करेगें. राजा ने बताया कि उनके साथ उनकी सेना भी है. वे अकेले कैसे खाना खा सकते है. महर्षि वशिष्ठ ने कहा कि सब व्यवस्था हो जायेगी. राजपुत्र ने महर्षि क़ी तापोशक्ति क़ी परीक्षा लेने हेतु कहा कि हम राज परिवार से सम्बंधित है. हम तो छप्पन प्रकार के भोग खाते है. क्या यहाँ वह सब उपलब्ध हो सकता है? महर्षि ने कहा कि हे राजपुत्र! महाराजा गाधि के साम्राज्य में उनकी धर्मनिष्ठा के कारण तपस्वियों के पास इतनी शक्ति है कि वह राज परिवार के लिए कुछ भी उपलब्ध करा सकते है. आप लोग आचमन करें एवं आसन पर बैठें. विश्वामित्र ने कहा कि हे तपस्वी एक बार सोच लो. यदि छप्पन प्रकार के भोग नहीं मिले तो अवमानना के फलस्वरूप आप क़ी गर्दन तक काटी जा सकती है. वशिष्ठ जी ने मंद मुस्कान के साथ कहा कि राज परिवार के लिए गर्दन कटाना बहुत छोटी बात है. आप निश्चिन्त होकर आसन ग्रहण करें. समस्त अनुचरो एवं सेना के साथ राजा भोजन करने के लिए बैठ गए. वशिष्ठ जी ने अपनी दैवी शक्ति संपन्न कामधेनु क़ी पुत्री नंदिनी गाय क़ी तरफ संकेत किया. और सोने क़ी थाल में दैवी स्वाद एवं सुगंध से संपन्न छप्पन प्रकार के व्यंजन सबके सम्मुख उपस्थित हो गया. उस मधुर भोजन से समस्त सेना तृप्त हो गयी. विश्वामित्र आश्चर्य चकित हो कुछ देर तक मौन रहे. उसके बाद भोजन से निवृत्त होने के बाद वशिष्ठ जी से कहा कि हे तपोनिधान! यह धेनु अद्वितीय शक्ति संपन्न एक विलक्षण गाय है. इसे राजा के पास होना चाहिए. इसकी आप को आवश्यकता नहीं हैइस गाय को हम ले जा रहे है. वशिष्ठ जी के लाख समझाने पर भी विश्वामित्र नहीं माने. और जोर जबरदस्ती उस गाय को हाँक कर ले चले. गाय भी रम्भा रही थी, वह जा नहीं रही थी. राजा के सैनिक उसे घसीटने लगे. जिससे गाय के खुर का कुछ हिस्सा टूट गया तथा उसकी नाक से खून बहने लगा. खून क़ी कुछ बूंदें उस खुर के टूटे हिस्से पर भी गिर पडा. इधर महर्षि वशिष्ठ लम्बी गर्म श्वास लेते हुए मूर्छित होकर गिर पड़े. वह उस टूटे खुर एवं उस पर गिरे रक्त क़ी बूंदों को देख कर बिलखते रहे. इधर विश्वामित्र ज्यो ही गाय को लेकर अपने राज्य में प्रवेश किये, सहश्रार्जुन ने युद्ध में महाराजा गाधि को हराकर एवं उनके समूचे परिवार को बंदी बनाकर घसीटते हुए अपने राज्य को चल दिया. उसने गाय को भी घसीट कर ले जाने का आदेश दे दिया. इधर जब मैत्रावरुण को इस बात का पता चला वह शीघ्रता पूर्वक सहश्रार्जुन के पास पहुंचे. मैत्रावरुण तपोनिष्ठ ऊर्ध्वरेता देवर्षि थे. उसे देख कर सहश्रार्जुन डर गया. मैत्रावरुण ने उसे आदेश दिया कि तुमने गाधि को बंदी बना लिया. कोई बात नहीं. उनका सारा धन, सम्पत्ती एवं साम्राज्य अधिकृत कर लिया. कोई बात नहीं. किन्तु तूने नंदिनी को घसीटा यह सबसे बड़ा पाप तुम से हो गया है. अभी भी यदि तुम अपनी भलाई चाहते हो तो अविलम्ब नंदिनी को मुक्त करो. तथा सादर इसे ऋषि वशिष्ठ के पास पहुँचाओ. सहश्रार्जुन वशिष्ठ के पास नहीं जा सकता था. कारण यह था कि महाराजा गाधि क़ी दूसरी पत्नी सरस्वती के पुत्र यमदग्नि थे. जिनके पुत्र परशुराम जी थे. सरस्वती एवं अरुंधती दोनों ही सगी बहने थी. तथा अरुंधती का विवाह वशिष्ठ से हुआ था. यही कारण था कि सहश्रार्जुन वशिष्ठ के पास नहीं जा सकता था. मैत्रावरुण ने कहा कि हे सहश्रार्जुन! तुम्हारा कोई दोष नहीं है. तुम्हारी जन्म नक्षत्र से ठीक पहले नक्षत्र में वक्री राहु आ गया है. अब तुम्हारी बुद्धि यदि मारी गयी है तो यह स्वाभाविक ही है. तुम्हारे सर्वनाश को कोई नहीं रोक सकता है. यही कारण है कि तुम तपोनिष्ठ वशिष्ठ के पास जाने से मना कर रहे हो. सहश्रार्जुन ने नंदिनी को लाकर गाधि के राज महल के पास छोड़ दिया. लेकिन विश्वामित्र तथा उसके पिता गाधि को कारागार में ही रखा

1 टिप्पणी:

  1. Hessonite is one of the Navratna and in Hindi is also known as
    Gomed derived from a Sanskrit word Gomedhikam.
    Hessonite is known for its characteristic honey-yellow to brown-red color.
    It belongs to family of Garnet and is a important stone in Vedic astrology
    Get the Genuine Gomed Gemstone to get the best results.

    जवाब देंहटाएं

टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.

विशिष्ट पोस्ट

नक्षत्र स्वामी के अनुसार पीपल वृक्ष के उपाय

ज्योतिष शास्त्र अनुसार प्रत्येक ग्रह 3, 3 नक्षत्रों के स्वामी होते है. कोई भी व्यक्ति जिस भी नक्षत्र में जन्मा हो वह उसके स्वामी ग्रह से स...